शासकों की सूची
- चन्द्रगुप्त मौर्य 322 ईसा पूर्व- 298 ईसा पूर्व
- बिन्दुसार 297 ईसा पूर्व -272 ईसा पूर्व
- अशोक 273 ईसा पूर्व -232 ईसा पूर्व
- दशरथ मौर्य 232 ईसा पूर्व- 224 ईसा पूर्व
- सम्प्रति 224 ईसा पूर्व- 215 ईसा पूर्व
- शालिसुक 215 ईसा पूर्व- 202 ईसा पूर्व
- देववर्मन् 202 ईसा पूर्व -195 ईसा पूर्व
- शतधन्वन् मौर्य 195 ईसा पूर्व 187 ईसा पूर्व
- बृहद्रथ मौर्य 187 ईसा पूर्व- 185 ईसा पूर्व
चक्रवर्ती सम्राट अशोक
सम्राट अशोक, भारत के ही नहीं बल्कि विश्व के इतिहास के सबसे महान शासकों में से एक हैं।
। अपने राजकुमार के दिनों में उन्होंने उज्जैन तथा तक्षशिला के विद्रोहों
को दबा दिया था। पर कलिंग की लड़ाई उनके जीवन में एक निर्णायक मोड़ साबित
हुई और उनका मन युद्ध में हुए नरसंहार से ग्लानि से भर गया। उन्होंने बौद्ध
धर्म अपना लिया तथा उसके प्रचार के लिए बहूत कार्य किये। सम्राट अशोक को बौद्ध धर्म मे उपगुप्त ने दीक्षित किया था।
उन्होंने देवानांप्रिय, प्रियदर्शी, जैसी उपाधि धारण की। सम्राट अशोक के
शिलालेख तथा शिलोत्कीर्ण उपदेश भारतीय उपमहाद्वीप में जगह-जगह पाए गए हैं।
उसने धम्म का प्रचार करने के लिए विदेशों में भी अपने प्रचारक भेजे।
जिन-जिन देशों में प्रचारक भेजे गए उनमें सीरिया तथा पश्चिम एशिया का
एंटियोकस थियोस, मिस्र का टोलेमी फिलाडेलस, मकदूनिया का एंटीगोनस गोनातस,
साईरीन का मेगास तथा एपाईरस का एलैक्जैंडर शामिल थे।३२२ ई. पू. में चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने गुरू चाणक्य की सहायता से धनानन्द की हत्या कर मौर्य वंश की नींव डाली थी।
२९८ ई. पू. में सलेखना उपवास द्वारा चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपना शरीर त्याग
दिया।अशोक (२७३ ई. पू. से २३६ ई. पू.)- राजगद्दी प्राप्त होने के बाद अशोक
को अपनी आन्तरिक स्थिति सुदृढ़ करने में चार वर्ष लगे। इस कारण राज्यारोहण
चार साल बाद २६९ ई. पू. में हुआ था।वह २७३ ई. पू. में सिंहासन पर बैठा।
अभिलेखों में उसे देवाना प्रिय एवं राजा आदि उपाधियों से सम्बोधित किया गया
है। मास्की तथा गर्जरा के लेखों में उसका नाम अशोक तथा पुराणों में उसे
अशोक वर्धन कहा गया है। सिंहली अनुश्रुतियों के अनुसार अशोक ने ९९
भाइयों की हत्या करके राजसिंहासन प्राप्त किया था, लेकिन इस उत्तराधिकार के
लिए कोई स्वतंत्र प्रमाण प्राप्त नहीं हुआ है।
Comments
Post a Comment