भारत सरकार अधिनियम- 1919
को ‘मांटेग्यू-चेम्सफ़ोर्ड सुधार’
के नाम से भी जाना जाता है। भारतमंत्री लॉर्ड मांटेग्यू ने 20 अगस्त, 1917
को ब्रिटिश संसद में यह घोषणा की कि ब्रिटिश सरकार का उद्देश्य भारत में
उत्तरदायी शासन की स्थापना करना है। नवम्बर, 1917 में भारतमंत्री मांटेग्यू
ने भारत आकर तत्कालीन वायसराय चेम्सफ़ोर्ड एवं अन्य असैनिक अधिकारियों एवं
भारतीय नेताओं से प्रस्ताव के बारे में विचार-विमर्श किया। एक समिति सर
विलियम ड्यूक, भूपेन्द्रनाथ बासु, चार्ल्स रॉबर्ट की सदस्यता में बनाई गयी,
जिसने भारतमंत्री एवं वायसराय को प्रस्तावों को अन्तिम रूप देने में सहयोग
दिया। 1918 ई. में इस प्रस्ताव को प्रकाशित किया गया। यह अधिनियम अन्तिम
रूप से 1921 ई. में लागू किया गया। मांटेग्यू-चेम्सफ़ोर्ड रिपोर्ट के
प्रवर्तनों को भारत के रंग बिरंगे इतिहास में “सबसे महत्त्वपूर्ण घोषणा” की
संज्ञा दी गयी और इसे एक युग का अन्त और एक नवीन युग का प्रारंभ माना गया।
इस घोषणा ने कुछ समय के लिए भारत में तनावपूर्ण वातावरण को समाप्त कर
दिया। पहली बार ‘उत्तरदायी शासन’ शब्दों का प्रयोग इसी घोषणा में किया गया।
विशेषताएँ
- ब्रिटिश भारत के प्रांतों के लिए बड़े पैमाने पर स्वायत्तता की अनुमति (भारत सरकार का 1919 अधिनियम द्वारा शुरूआत की गई द्विशासन की प्रणाली को समाप्त करना)
- ब्रिटिश भारत और कुछ या सभी शाही राज्यों दोनों के लिए “भारतीय संघ” की स्थापना के लिए प्रावधान.
- प्रत्यक्ष चुनाव की शुरूआत करना, ताकि सात लाख से पैंतीस लाख लोगों का मताधिकार बढ़े
- प्रांतों का एक आंशिक पुनर्गठन:
- सिंध, बंबई से अलग हो गया था
- बिहार और उड़ीसा को अलग प्रांतों में विभाजित करते हुए बिहार और उड़ीसा किया गया था
- बर्मा को सम्पूर्ण रूप से भारत से अलग किया गया था
- एडन, भारत से अलग था और अलग कॉलोनी के रूप में स्थापित हुआ।
- प्रांतीय असेंबलियों की सदस्यता को बदल दिया गया और उसमें अधिक भारतीय प्रतिनिधि निर्वाचित हुए, जो कि अब एक बहुमत बना सकते थे
- और सरकारों बनाने के रूप में नियुक्त करना शामिल था।
- एक संघीय न्यायालय की स्थापना
अधिनियम के कुछ हिस्सों की मांग भारत संघ
को स्थापित करना था लेकिन राजसी राज्यों के शासकों के विरोध के कारण कभी
संचालन में नहीं आया। जब अधिनियम के तहत पहला चुनाव का आयोजन हुआ तब
अधिनियम का शेष भाग 1937 में लागू हुआ।
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