Skip to main content

मराठा साम्राज्य : एक झलक , Maratha Empire , Point for Study

मराठा साम्राज्य : एक झलक , Maratha Empire , Point for Study

मराठा साम्राज्य एक भारतीय साम्राज्यवादी शक्ति थी जो 1674 से 1818 तक अस्तित्व में थी । शिवाजी का जन्म 1627 ई में शिवनेर दुर्ग जुन्नार के समीप में हुआ था.शिवाजी के पिता का नाम शाहजी भोंसले और माता का नाम जिजाबाई था.मराठा साम्राज्य की नींव शिवाजी ने 1674 में डाली। शिवाजी के गुरु कोंडदेव जी थे.आध्यात्मिक क्षेत्र में शिवाजी के आचरण पर गुरु रामदास का काफी प्रभाव था.शिवाजी का विवाह साईंबाई निम्बालकर से 1640 ई में हुआ.
शाहजी ने शिवाजी को पूना की जागीर प्रदान कर स्वयं बीजापुर रियासत में नौकरी कर ली.अपने सैन्य अभियान के अंतर्गत 1644 ई में शिवाजी ने सर्वप्रथम बीजापुर के तौरण नामक पहाड़ी किले पर अधिकार किया.1656 ई में शिवाजी ने रायगढ़ को अपनी राजधानी बनाया.बीजापुर के सुल्तान ने अपने यौग्य सेनापति अफजल खाँ को सितम्बर 1665 ई शिवाजी को पराजित करने के लिए भेजा. शिवाजी ने अफजल खाँ की हत्या कर दी.शिवाजी से सूरत को 1664 ई और 1679 ई में लूटा. पुरन्दर की संधि 1665 ई में महाराजा जयसिंह और शिवाजी के मध्य सम्पन्न हुई.16 जून 1674 ई को शिवाजी ने रायगढ़ में वाराणसी – काशी के प्रसिद्ध विद्वान श्री गंगा भट्ट(महाराष्ट्र का एक ब्राह्मण ) द्वारा अपना राज्याभिषेक करवाया. शिवाजी को औरंगजेब ने 16 मई 1666 ई में जयपुर भवन में कैद कर लिया, जहाँ से वे 16 अगस्त 1666 ई में भाग निकले. मात्र 53 वर्ष की आयु में 14 अप्रैल 1680 ई को शिवाजी की मृत्यु हो गई.
शिवाजी के दरबार में मराठी को भाषा के रूप में प्रयोग किया.

शिवाजी के मंत्रिमंडल को अष्टप्रधान कहा जाता था.

पेशवा- प्रधानमन्त्री (सर्वाधिक महत्वपूर्ण)
सरी-ए-नौबत/ सेनापति – सैन्य प्रधान
वाकयानवीस – सूचना, गुप्तचर और विभाग
चिटनिस / सुरुन्विस / सचिव – राजकीय पत्राचार
सुमंत / दबीर – विदेश मंत्री
पंडित राव/सदरमोहित्सव  – धार्मिक कार्यों के लिए तिथि का निर्धारण
न्यायाधीश – न्याय विभाग का प्रधान
अमात्य/ मजूमदार – आय व्यय का लेखा जोखा
सुरक्षा के लिए निम्न लोगों को अप्पोइन्ट किया जाता था —
हवलदार – किले की आंतरिक व्यवस्था की देख रेख के लिए
सरेनौबत – किले की सेना का नेतृत्व
सवनिस – किले की अर्थव्यवस्था, पत्र व्यवहार और भंडार की देख-रेख के लिए

शिवाजी की सेना तीन महत्वपूर्ण भागो थे –

पैदल – पैदल सेना
सिलहदार – अस्थायी घुड़सवार सैनिक
पागा सेना – नियमित घुड़सवार सैनिक
शिवाजी ने काठी और मानक छड़ी के प्रयोग को आरम्भ किया.
शिवाजी के समय कुल उपज का 33% भाग राजस्व के रूप में वसूला जाता था, जो बढ़ कर 40% जो गया था.
चौथ और सरदेशमुखी नामक का शिवाजी के द्वारा लगाया गया. चौथ किसी एक क्षेत्र को बरवाद न करने के बदले दी जाने वाली रकम को कहा जाता है.शिवाजी के राज्य में 40 किले थे |
पेशवाओं का शासनकाल-
  1. बालाजी विश्वनाथ पेशवा  (1714-1720)
  2. प्रथम बाजीराव पेशवा (1720-1740)
  3. बालाजी बाजीराव पेशवा ऊर्फ नानासाहेब पेशवा(1740-1761)
  4. माधवराव बल्लाल पेशवा ऊर्फ थोरले माधवराव पेशवा (1761-1772)
  5. नारायणराव पेशवा (1772-1774)
  6. रघुनाथराव पेशवा
  7. सवाई माधवराव पेशवा (1774-1795)
  8. बाजीराव पेशवा 2 (1796-1818)
  9. नानासाहेब पेशवा 2
शिवाजी के उत्तराधिकारी –

1- शम्भाजी (१६८०-१६८९)-

शिवाजी का ज्येष्ठ पुत्र | शिवाजी के मृत्यु के समय वह नजरबन्द था | कन्नौज के कवी कलश को मुख्य सलाहकार बनाया | शम्भाजी को संगमेश्वर में औरज्जेब द्वारा पकड़ लिया गया था | औरन्जेब ने निर्मममता पूर्वक शम्भाजी हत्या कर डी थी | शम्भाजी की पत्नी एशुबाई और पुत्र शाहू को गिरफ्तार कर लिया था |

2- राजाराम ( १६८९-१७००) –

इन्होने ‘सरंजामी प्रथा ‘ की शुरुवात की , जिसके तहत मराठा सरदारों द्वारा विजित प्रदेशो में शासन करने की इजाजत डी | बस in राज्यों को चौथ और सरदेशमुख देना पड़ता था | चौथ – 1/4 तथा सरदेशमुख 1/10 होता था | राजाराम ने खुद को छत्रपति घोषित नहीं किया था | एक पद प्रतिनिधि का प्रावधान किया था , जो पेशवा से भी बड़ा होता था | रायगढ़ के पतन के बाद , राजाराम 8 वर्षों तक मुग़लों के घेरे में रहा  (जिंजी में  १६९०-१६९८ तक) |

3- ताराबाई ( १७००-१७०७)

ताराबाई , राजाराम की पत्नी थी जिसने अपने पुत्र शिवाजी II के नाम पर शासन किया | उसके शासन काल में औरंगजेब के शिविर पर हमले तक किये गए | परन्तु खेर (१७०७) के युध्ह्ह में वह , अपने भतीजे शाहूजी से परस्त हुई |

4- शाहू (१७०७-१७४९)

शाहू 17 वर्षों तक औरंगजेब की कैद में था और औरग्जेब के पुत्र बहादुर शाह I , ने उसे रिहा कर दिया | बालाजी  विश्नाथ ( पेशवा बाजीराव के पिता ) के सहयोग से , शाहू जी ने खेर का युध्ध जीता |

Comments

Popular posts from this blog

वैदिक सभ्यता, वैदिक काल , उत्तर वैदिक काल , Vedic Period

वैदिक सभ्यता, वैदिक काल , उत्तर वैदिक काल , Vedic Period वैदिक सभ्यता प्राचीन भारत की सभ्यता है जिसमें वेदों की रचना हुई। भारतीय विद्वान् तो इस सभ्यताको अनादि परम्परा आया हुवा मानते हैं | कुछ लोग तो भारत में आज से लगभग ७००० इस्वी ईसा पूर्व शुरु हई थी ऐसा मानते है, परन्तु पश्चिमी विद्वानो के अनुसार आर्यों का एक समुदाय भारत मे लगभग २००० इस्वी ईसा पूर्व आया और उनके आगमन के साथ ही यह सभ्यता आरंभ हुई थी। आम तौर पर अधिकतर विद्वान वैदिक सभ्यता का काल २००० इस्वी ईसा पूर्व से ६०० इस्वी ईसा पूर्व के बीच मे मानते है, परन्तु नए पुरातत्त्व उत्खननो से मिले अवशेषों मे वैदिक सभ्यता के कई अवशेष मिले हैं जिससे आधुनिक विद्वान जैसे डेविड फ्राले, तेलगिरी, बी बी लाल, एस र राव, सुभाष काक, अरविन्दो यह मानने लगे है कि वैदिक सभ्यता भारत मे ही शुरु हुई थी और ऋग्वेद का रचना काल ४०००-३००० इस्वी ईसा पूर्व रहा होगा, क्योकि आर्यो के भारत मे आने का न तो कोई पुरातत्त्व उत्खननो से प्रमाण मिला है और न ही डी एन ए अनुसन्धानो से कोई प्रमाण मिला है इस काल में वर्तमान हिंदू धर्म के स्वरूप की नींव पड़ी थी जो...

परमवीर चक्र के बारे में संक्षिप्त जानकारी।

परमवीर चक्र के  बारे में संक्षिप्त जानकारी। परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान है। यह सेना के जवानों को उनकी बहादुरी के लिए दिया जाता है। इस सम्मान की शुरुआत 26 जनवरी 1950 में हुई थी। अब तक 21 सैनिकों को इससे सम्मानित किया गया है। – सबसे ज्यादा सेना के 20 और एयरफ़ोर्स के एक जवान को ये अवॉर्ड मिला है। – अभी तक नेवी के किसी जवान को यह अवॉर्ड नहीं मिला है। – परमवीर चक्र पाने वाले सैनिकों या उनके परिजनों को 10 हजार रुपए महीने का अलाउंस भी दिया जाता है। – परमवीर चक्र को सावित्री बाई खालोनकर ने डिजाइन किया था। उनकी मां हंगरी की, जबकि पिता रशियन थे। – उनकी शादी मेजर जनरल विक्रम खालोनकर से हुई थी। -सोमनाथ शर्मा को मरणोपरांत पहला परमवीर चक्र का सम्मान मिला। पदक का प्रावधान स्वतंत्र भारत में पराक्रमी वीरों को युद्ध भूमि में दिखाये गये शौर्य के लिए अनेक प्रतीक सम्मान पुरस्कारों का चलन शुरू हुआ। 15 अगस्त 1947 से वर्ष 1950 तक भारत अपना संविधान रचने में व्यस्त रहा। 26 जनवरी 1950 को जो विधान लागू हुआ, उसे 1947 से प्रभावी माना गया। वह इसलिए जिससे 1947-48 में हुए भारत-पाक युद्ध के वीरों क...

संविधान का विकास , संक्षिप्त में, Indian Constitution development milestone

संविधान का विकास , संक्षिप्त में, Indian Constitution development milestone 1757 ई. की प्लासी की लड़ाई और 1764 ई. बक्सर के युद्ध  के बाद बंगाल पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने शासन मोर्चा लिया . इसी शासन को अपने लिए बेहतर  बनाए  के लिए अंग्रेजों ने  कई एक्ट पारित किए, जो भारतीय संविधान के विकास की माइलस्टोन  बनीं. कुछ का विवरण है   1773 ई. का रेग्‍यूलेटिंग एक्ट : इस एक्ट के अंतर्गत कलकत्ता में एक ऐसी सरकार स्थापित की गई, जिसमें गवर्नर जनरल और उसकी परिषद के चार सदस्य थे ,  इसकी मुख्य बातें  हैं – (i) कंपनी के शासन पर संसदीय नियंत्रण स्थापित किया गया. (ii) बंगाल के गवर्नर को तीनों प्रेसिडेंसियों का जनरल नियुक्त किया गया. (iii) कलकत्ता में एक सुप्रीम कोर्ट ()की स्थापना की गई. 1784 ई. का पिट्स इंडिया एक्ट : दोहरे प्रशासन का प्रारंभ हुआ- (i) कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स – व्यापारिक मामलों के लिए (जैसे आजकल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स होते हैं कंपनी में ) (ii) बोर्ड ऑफ़ कंट्रोलर- राजनीतिक मामलों के लिए. 1793 ई. का चार्टर अधिनियम :  नियंत्रण ब...