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Showing posts from December, 2016

मौर्य वंश , Maurya Empire

मौर्य राजवंश (३२२-१८५ ईसापूर्व) प्राचीन भारत का एक शक्तिशाली एवं महान राजवंश था। इसने १३७ वर्ष भारत में राज्य किया। ईसा पूर्व 326 में सिकन्दर की सेनाएँ पंजाब के विभिन्न राज्यों में विध्वंसक युद्धों में व्यस्त थीं। मध्यप्रदेश और बिहार में नंद वंश का राजा धननंद शासन कर रहा था। सिकन्दर के आक्रमण से देश के लिए संकट पैदा हो गया था। धननंद का सौभाग्य था कि वह इस आक्रमण से बच गया। यह कहना कठिन है कि देश की रक्षा का मौक़ा पड़ने पर नंद सम्राट यूनानियों को पीछे हटाने में समर्थ होता या नहीं। मगध के शासक के पास विशाल सेना अवश्य थी किन्तु जनता का सहयोग उसे प्राप्त नहीं था। प्रजा उसके अत्याचारों से पीड़ित थी। मौर्या वंश स्थापना का श्रेय चन्द्रगुप्त मौर्य और उसके मन्त्री कौटिल्य को दिया जाता है, जिन्होंने नन्द वंश के सम्राट घनानन्द को पराजित किया। मौर्य साम्राज्य के विस्तार एवं उसे शक्तिशाली बनाने का श्रेय सम्राट अशोक जाता है। शासकों की सूची चन्द्रगुप्त मौर्य 322 ईसा पूर्व- 298 ईसा पूर्व बिन्दुसार 297 ईसा पूर्व -272 ईसा पूर्व अशोक 273 ईसा पूर्व -232 ईसा पूर्व दशरथ मौर्य 232 ईसा पूर्व- 224 ईसा

शिमला समझौता 2 जुलाई 1972, Shimla Agreement

शिमला समझौता 2 जुलाई 1972, Shimla Agreement 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच एक बड़ा युद्ध लड़ा जा चुका था, 93 हजार पाकिस्तानी फौजी भारत में युद्धबंदी थे और पाकिस्तान से टूट कर पूर्वी पाकिस्तान भी बंगलादेश बन गया था।विश्वास बहाली और कड़वाहट को कम करने के मकसद से इंदिरा और भुट्टो ने एक मंच पर आने का फैसला किया।भारत-पाकिस्तान के बीच शिखर-वार्ता 28 जून से 1 जुलाई तक तय की गयी। चार दिन तक चलने वाली इस वार्ता में सात दौर की वार्ता होनी थी। 28 जून को ही पाकिस्तान के राष्ट्रपति ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो अपनी बेटी बेनजीर भुट्टो के साथ वार्ता के लिए शिमला पहुंचे।पाकिस्तान द्वारा बंगलादेश को मान्यता, भारत-पाकिस्तान के राजनयिक संबंध, व्यापार, कश्मीर में नियंत्रण रेखा स्थापित करना और युद्धबंदियों की रिहाई जैसे मुद्दों पर बातचीत चलती रही। लेकिन कुछ मुद्दों पर एक राय नहीं बन पा रही थी। दोनों देशों के प्रतिनिधी और पत्रकार किसी समझौते की उम्मीद छोड़ चुके थे लेकिन अगले दिन फिर 2 जुलाई को दोनों पक्षों में बातचीत हुई। आखिरकार 2 और 3 जुलाई की रात 12 बजकर 40 मिनट पर दोनों देशों ने समझौता पर हस

मुग़ल शासक , Mughal Periods

मुग़ल शासक , Mughal Periods नाम जन्म नाम जन्म राज्यकाल मृत्यु बाबर ज़हीरुद्दीन मुहम्मद 23 फ़रवरी 1483 30 अप्रैल 1526 – 26 दिसम्बर 1530 5 जनवरी 1531 (आयु 47) हुमायूँ नसीरुद्दीन मुहम्मद हुमायूँ (पहला राज्यकाल) 17 मार्च 1508 26 दिसम्बर 1530 – 17 मई 1540 27 जनवरी 1556 (आयु 47) हुमायूँ के बाद शेर शाह सूरी तथा इस्लाम शाह सूरी  ने सं १५४० से १५५५ तक सूर वंश चलाया | हुमायूँ नसीरुद्दीन मुहम्मद हुमायूँ (दूसरा राज्यकाल) 17 मार्च 1508 22 फ़रवरी 1555 – 27 जनवरी 1556 27 जनवरी 1556 (आयु 47) अकबर-ए-आज़म जलालुद्दीन मुहम्मद 14 अक्टूबर 1542 27 जनवरी 1556 – 27 अक्टूबर 1605 27 अक्टूबर 1605 (आयु 63) जहांगीर नूरुद्दीन मुहम्मद सलीम 20 सितम्बर 1569 15 अक्टूबर 1605 – 8 नवम्बर 1627 8 नवम्बर 1627 (आयु 58) शाह-जहाँ-ए-आज़म शहाबुद्दीन मुहम्मद ख़ुर्रम 5 जनवरी 1592 8 नवम्बर 1627 – 2 अगस्त 1658 22 जनवरी 1666 (आयु 74) अलामगीर मुइनुद्दीन मुहम्मद 4 नवम्बर 1618 31 जुलाई 1658 – 3 मार्च 1707 3 मार्च 1707 (आयु 88) बहादुर शाह क़ुतुबुद्दीन

सरदार भगत सिंह , Sardar Bhagat Singh

भगत सिंह (जन्म: सितम्बर १९०७)  मृत्यु: २३ मार्च १९३१ ) भारत के एक प्रमुख जाट स्वतंत्रता सेनानी थे। भगतसिंह ने देश की आज़ादी के लिए जिस साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुक़ाबला किया, वह आज के युवकों के लिए एक बहुत बड़े आदर्श है। इन्होंने केन्द्रीय संसद (सेण्ट्रल असेम्बली) में बम फेंककर भी भागने से मना कर दिया। जिसके फलस्वरूप इन्हें २३ मार्च १९३१ को इनके दो अन्य साथियों, राजगुरु तथा सुखदेव के साथ फाँसी पर लटका दिया गया। सारे देश ने उनके बलिदान को बड़ी गम्भीरता से याद किया। पहले लाहौर में साण्डर्स-वध और उसके बाद दिल्ली की केन्द्रीय असेम्बली में चन्द्रशेखर आजाद व पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ बम-विस्फोट करके ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध खुले विद्रोह को बुलन्दी प्रदान की। इन सभी बम धमाको के लिए उन्होंने वीर सावरकर के क्रांतिदल अभिनव भारत की भी सहायता ली और इसी दल से बम बनाने के गुर सीखे। जन्म और परिवेश भगत सिंह का जन्म २७ सितंबर १९०७ को हुआ था। उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था। यह एक सिख परिवार था | अमृतसर में १३ अप्रैल १९१९ को

संयुक्त राष्ट्र संघ , UNO, United Nations Organization

संयुक्त राष्ट्र (अंग्रेज़ी: United Nations) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसके उद्देश्य में उल्लेख है कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून को सुविधाजनक बनाने के सहयोग, अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति, मानव अधिकार और विश्व शांति के लिए कार्यरत है। संयुक्त राष्ट्र की स्थापना २४ अक्टूबर १९४५ को संयुक्त राष्ट्र अधिकारपत्र पर 50 देशों के हस्ताक्षर होने के साथ हुई। द्वितीय विश्वयुद्ध के विजेता देशों ने मिलकर संयुक्त राष्ट्र को अन्तर्राष्ट्रीय संघर्ष में हस्तक्षेप करने के उद्देश्य से स्थापित किया था। वे चाहते थे कि भविष्य मे फ़िर कभी द्वितीय विश्वयुद्ध की तरह के युद्ध न उभर आए। संयुक्त राष्ट्र की संरचना में सुरक्षा परिषद वाले सबसे शक्तिशाली देश (संयुक्त राज्य अमेरिका, फ़्रांस, रूस और संयुक्त राजशाही) द्वितीय विश्वयुद्ध में बहुत अहम देश थे। वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र मे १९३ देश है, विश्व के लगभग सारे अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त देश। इस संस्था की संरचन में आम सभा, सुरक्षा परिषद, आर्थिक व सामाजिक परिषद, सचिवालय और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय सम्मिलित है। प्रथम विश्वयुद्

सोवियत संघ का विघटन ,Soviet Union Partition

सोवियत संघ का विघटन ,Soviet Union Partition सोवियत संघ का विघटन सोवियत संघ का औपचारिक नाम सोवियत समाजवादी गणतंत्रों का संघ था।सोवियत  संघ 15 स्वशासित गणतंत्रों का संघ था सोवियत संघ की उत्त्पत्ति के बीज सन् 1917 ई. में घटित बोल्शेविक क्रान्ति में ढूंढ़ें जा सकते हैं।  7 नवम्बर 1917 ई. को व्लादिमीर लेनिन के नेतृत्व में क्रांतिकारी बोल्शेविकों ने रूसी जार की सत्ता को उखाड़ फेंका और एक समाजवादी राज्य की स्थापना की। यह दुनिया की पहली साम्यवादी सरकार थी। इस घटना को ‘अक्टूबर क्रांति’ का नाम दिया गया। मार्च 1918 ई. में बोल्शेविक दल का नाम बदलकर साम्यवादी दल कर दिया गया। अब रूस साम्यवाद के एक मजबूत गढ़ के रूप में उभरा और धीरे धीरे इसमें यूरेशिया के दूर-दराज के समाजवादी गणराज्य राज्य भी शामिल हो गए। औपचारिक रूप से सोवियत संघ की स्थापना सन् 1922 ई. में की गयी जो कि तकनीकी रूप से 15 उप-राष्ट्रीय सोवियत गणराज्यों का एक संघ था किन्तु व्यवहारिक तौर पर यह एक अत्यंत केंद्रीकृत प्रशासनिक व्यवस्था थी। सोवियत संघ ने सन् 1930 ई. के दशक की वैश्विक महामंदी का सफलतापूर्वक सामना किया तथा बीसव

Indian History Time Line , भारतीय इतिहास समय रेखा, Till 1950

Indian History Time Line , भारतीय इतिहास समय रेखा, Till 1950 Indian History Time Line , भारतीय इतिहास समय रेखा ईसा पूर्व (BC) 3000-1500 : सिंधु घाटी सभ्‍यता 563 : गौतम बुद्ध का जन्‍म 540 : महावीर का जन्‍म 327-326 : भारत पर एलेक्‍जेंडर का हमला। इसने भारत और यूरोप के बीच एक भू-मार्ग खोल दिया 313 : जैन परंपरा के अनुसार चंद्रगुप्‍त का राज्‍याभिषेक 305 : चंद्रगुप्‍त मौर्य के हाथों सेल्‍युकस की पराजय 273-232 : अशोक का शासन 261 : कलिंग की विजय 145-101 : एलारा का क्षेत्र, श्रीलंका के चोल राजा 58 : विक्रम संवत् का आरम्‍भ ईसवी (AD) 78 : शक संवत् का आरम्‍भ 120 : कनिष्‍क का राज्‍याभिषेक 320 : गुप्‍त युग का आरम्‍भ, भारत का स्‍वर्णिम काल 380 : विक्रमादित्‍य का राज्‍याभिषेक 405-411 : चीनी यात्री फाहयान की यात्रा 415 : कुमार गुप्‍त-1 का राज्‍याभि‍षेक 455 : स्‍कंदगुप्‍त का राज्‍याभिषेक 606-647 : हर्षवर्धन का शासन 712 : सिंध पर पहला अरब आक्रमण836 : कन्‍नौज के भोज राजा का राज्‍याभिषेक 985 : चोल शासक राजाराज का राज्‍याभिषेक 998 : सुल्‍तान महमूद का राज्‍याभिषेक 1000 से 1499

महाजनपद, Maha Janapad

महाजनपद, Maha Janapad महाजनपद प्राचीन भारत मे राज्य या प्रशासनिक इकाईयों को ‘महाजनपद’ कहते थे। उत्तर वैदिक काल में कुछ जनपदों का उल्लेख मिलता है। बौद्ध ग्रंथों में इनका कई बार उल्लेख हुआ है।यद्यपि कुल सोलह महाजनपदों का नाम मिलता है पर ये नामाकरण अलग-अलग ग्रंथों में भिन्न-भिन्न हैं। इतिहासकार ऐसा मानते हैं कि ये अन्तर भिन्न-भिन्न समय पर राजनीतिक परिस्थितियों के बदलने के कारण हुआ है। इसके अतिरिक्त इन सूचियों के निर्माताओं की जानकारी भी उनके भौगोलिक स्थिति से अलग हो सकती है। बौद्ध ग्रन्थ अंगुत्तर निकाय, महावस्तु मे १६ महाजनपदों का उल्लेख है- अवन्ति – आधुनिक मालवा का प्रदेश जिसकी राजधानी उज्जयिनी और महिष्मति थी। अश्मक या अस्सक – दक्षिण भारत का एकमात्र महाजनपद। नर्मदा और गोदावरी नदियों के बीच अवस्थित इस प्रदेश की राजधानी पाटन थी। अंग – वर्तमान के बिहार के मुंगेर और भागलपुर जिले। इनकी राजधानी चंपा थी। कम्बोज – पाकिस्तान का हजारा जिला। काशी – इसकी राजधानी वाराणसी थी। वर्तमान की वाराणसी व आसपास का क्षेत्र इसमें सम्मिलित रहा था। कुरु – आधुनिक हरियाणा तथा दिल्ली का यमुना नदी

वैदिक सभ्यता, वैदिक काल , उत्तर वैदिक काल , Vedic Period

वैदिक सभ्यता, वैदिक काल , उत्तर वैदिक काल , Vedic Period वैदिक सभ्यता प्राचीन भारत की सभ्यता है जिसमें वेदों की रचना हुई। भारतीय विद्वान् तो इस सभ्यताको अनादि परम्परा आया हुवा मानते हैं | कुछ लोग तो भारत में आज से लगभग ७००० इस्वी ईसा पूर्व शुरु हई थी ऐसा मानते है, परन्तु पश्चिमी विद्वानो के अनुसार आर्यों का एक समुदाय भारत मे लगभग २००० इस्वी ईसा पूर्व आया और उनके आगमन के साथ ही यह सभ्यता आरंभ हुई थी। आम तौर पर अधिकतर विद्वान वैदिक सभ्यता का काल २००० इस्वी ईसा पूर्व से ६०० इस्वी ईसा पूर्व के बीच मे मानते है, परन्तु नए पुरातत्त्व उत्खननो से मिले अवशेषों मे वैदिक सभ्यता के कई अवशेष मिले हैं जिससे आधुनिक विद्वान जैसे डेविड फ्राले, तेलगिरी, बी बी लाल, एस र राव, सुभाष काक, अरविन्दो यह मानने लगे है कि वैदिक सभ्यता भारत मे ही शुरु हुई थी और ऋग्वेद का रचना काल ४०००-३००० इस्वी ईसा पूर्व रहा होगा, क्योकि आर्यो के भारत मे आने का न तो कोई पुरातत्त्व उत्खननो से प्रमाण मिला है और न ही डी एन ए अनुसन्धानो से कोई प्रमाण मिला है इस काल में वर्तमान हिंदू धर्म के स्वरूप की नींव पड़ी थी जो

सिन्धु घटी सभ्यता ,Indus Valley Civilization

सिन्धु घटी सभ्यता ,Indus Valley Civilization सिंधु घाटी सभ्यता(३३००-१७०० ई.पू.). विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक प्रमुख सभ्यता थी। यह हड़प्पा सभ्यता और ‘सिंधु-सरस्वती सभ्यता’ के नाम से भी जानी जाती है। इसका विकास सिंधु और घघ्घर/हकड़ा (प्राचीन सरस्वती) के किनारे हुआ। मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल, धोलावीरा, राखीगढ़ी और हड़प्पा इसके प्रमुख केन्द्र थे।दिसम्बर २०१४ में भिर्दाना को अबतक का खोजा गया , सिंधु घाटी सभ्यता का, सबसे प्राचीन नगर माना गया है  । 1826 चार्ल्स मैसेन ने पहली बार इस पुरानी सभ्यता को खोजा। कनिंघम ने 1856 में इस सभ्यता के बारे में सर्वेक्षण किया। 1856 में कराची से लाहौर के मध्य रेलवे लाइन के निर्माण के दौरान बर्टन बंधुओं द्वारा हड़प्पा स्थल की सूचना सरकार को दी। इसी क्रम में 1861 में अलेक्जेंडर कनिंघम के निर्देशन में भारतीय पुरातत्व विभाग की स्थापना की। 1904 मे लार्ड कर्जन द्वारा जॉन मार्शल को भारतीय पुरातात्विक विभाग (ASI) का महानिदेशक बनाया गया ।  १९२१ में दयाराम साहनी ने हड़प्पा का उत्खनन किया । इस प्रकार इस सभ्यता का नाम हड़प्पा सभ्यता रखा

परमवीर चक्र के बारे में संक्षिप्त जानकारी।

परमवीर चक्र के  बारे में संक्षिप्त जानकारी। परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान है। यह सेना के जवानों को उनकी बहादुरी के लिए दिया जाता है। इस सम्मान की शुरुआत 26 जनवरी 1950 में हुई थी। अब तक 21 सैनिकों को इससे सम्मानित किया गया है। – सबसे ज्यादा सेना के 20 और एयरफ़ोर्स के एक जवान को ये अवॉर्ड मिला है। – अभी तक नेवी के किसी जवान को यह अवॉर्ड नहीं मिला है। – परमवीर चक्र पाने वाले सैनिकों या उनके परिजनों को 10 हजार रुपए महीने का अलाउंस भी दिया जाता है। – परमवीर चक्र को सावित्री बाई खालोनकर ने डिजाइन किया था। उनकी मां हंगरी की, जबकि पिता रशियन थे। – उनकी शादी मेजर जनरल विक्रम खालोनकर से हुई थी। -सोमनाथ शर्मा को मरणोपरांत पहला परमवीर चक्र का सम्मान मिला। पदक का प्रावधान स्वतंत्र भारत में पराक्रमी वीरों को युद्ध भूमि में दिखाये गये शौर्य के लिए अनेक प्रतीक सम्मान पुरस्कारों का चलन शुरू हुआ। 15 अगस्त 1947 से वर्ष 1950 तक भारत अपना संविधान रचने में व्यस्त रहा। 26 जनवरी 1950 को जो विधान लागू हुआ, उसे 1947 से प्रभावी माना गया। वह इसलिए जिससे 1947-48 में हुए भारत-पाक युद्ध के वीरों को, ज