सोवियत संघ का विघटन ,Soviet Union Partition
सोवियत संघ का विघटन
सोवियत संघ का औपचारिक नाम सोवियत
समाजवादी गणतंत्रों का संघ था।सोवियत संघ 15 स्वशासित गणतंत्रों का संघ था
सोवियत संघ की उत्त्पत्ति के बीज सन् 1917 ई. में घटित बोल्शेविक क्रान्ति
में ढूंढ़ें जा सकते हैं। 7 नवम्बर 1917 ई. को व्लादिमीर लेनिन के नेतृत्व
में क्रांतिकारी बोल्शेविकों ने रूसी जार की सत्ता को उखाड़ फेंका और एक
समाजवादी राज्य की स्थापना की। यह दुनिया की पहली साम्यवादी सरकार थी। इस
घटना को ‘अक्टूबर क्रांति’ का नाम दिया गया। मार्च 1918 ई. में बोल्शेविक
दल का नाम बदलकर साम्यवादी दल कर दिया गया। अब रूस साम्यवाद के एक मजबूत गढ़
के रूप में उभरा और धीरे धीरे इसमें यूरेशिया के दूर-दराज के समाजवादी
गणराज्य राज्य भी शामिल हो गए। औपचारिक रूप से सोवियत संघ की स्थापना सन्
1922 ई. में की गयी जो कि तकनीकी रूप से 15 उप-राष्ट्रीय सोवियत गणराज्यों
का एक संघ था किन्तु व्यवहारिक तौर पर यह एक अत्यंत केंद्रीकृत प्रशासनिक
व्यवस्था थी। सोवियत संघ ने सन् 1930 ई. के दशक की वैश्विक महामंदी का
सफलतापूर्वक सामना किया तथा बीसवीं सदी के मध्य तक पर्याप्त आर्थिक प्रगति
अर्जित की। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सोवियत संघ मित्र शक्तियों के
समूह में शामिल रहा किन्तु इस दौरान भी उसके पूंजीवादी देशों से मतभेद
बरकरार रहे जो कि युद्ध की समाप्ति के पश्चात खुलकर सामने आ गये। इन
मतभेदों की स्पष्ट अभिव्यक्ति 5 मार्च 1946 ई. को विंस्टन चर्चिल के
प्रसिद्ध फुल्टन भाषण में मिली जिसमें उन्होंने पूर्वी यूरोप में छाए ‘लौह
आवरण’ की बात की। इसके बाद से सन् 1991 ई. तक की अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का
लगभग हर पहलू प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सोवियत संघ और संयुक्त राज्य
अमरीका के मध्य छिड़े ‘शीत युद्ध’ से प्रभावित होता रहा।रूस में अक्टूबर
क्रान्ति आधुनिक ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 7 नवम्बर 1917 ई. को संपन्न
हुई। किन्तु इसे अक्टूबर क्रान्ति कहा जाता है क्योंकि उस समय रूस में
प्रचलित जूलियन कैलंडर के अनुसार वह तिथि 24 अक्टूबर थी।
1.1.2 विघटन की प्रक्रिया
सन् 1985 ई. में मिखाइल गोर्बाचेव
कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव बने। इस समय सोवियत संघ जटिल आर्थिक और
सामाजिक परिस्थितियों से जूझ रहा था। गोर्बाचेव ने ग्लासनोस्त और
पेरेस्त्रोइका की नीतियों की शुरूआत की तथा विश्व भर में एक उदारवादी नेता
की ख्याति अर्जित की। उनकी नीतियाँ विशेषतौर पर तब आकर्षण का केंद्र बनीं
जबकि उन्हें सन् 1990 ई. में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। किन्तु
वह सोवियत संघ के अन्दर गिरती हुई आर्थिक और सामाजिक दशाओं का उत्थान कर
सकने में सफल न हो सके और परिणामतः देश के अन्दर अलोकप्रिय होते गये। अगस्त
1991 ई. में उनके खिलाफ विद्रोह हुआ तथा रक्षा मंत्री दिमित्री याजोव, उप
राष्ट्रपति गेनाडी यानायेव और केजीबी प्रमुख ने राष्ट्रपति गोर्बाचेव को
हिरासत में लिया। हालाँकि तीन दिनों के अन्दर ही इस विद्रोह का दमन कर दिया
गया और गोर्बाचेव की सत्ता को पुनः स्थापित कर दिया गया। किन्तु यह
अल्पकालिक राहत ही साबित हुई और शीघ्र ही पूर्वी यूरोप के अनेक देशों ने
स्वयं को सोवियत संघ से स्वतंत्र घोषित कर दिया। अगस्त 1991 ई. में बाल्टिक
गणराज्यों- एस्तोनिया, लात्विया और लिथुआनिया ने सोवियत संघ से अलग होने
की घोषणा की। सितंबर 1991 ई. में ‘कांग्रेस ऑफ पीपल्स डिप्यूटीज’ ने सोवियत
संघ के विघटन के लिए वोट डाला। 8 दिसंबर 1991 ई. को रूस, उक्रेन और
बेलारूस के नेताओं ने कॉमनवेल्थ ऑफ इंडिपेंडेंट स्टेट का गठन किया। 21
दिसंबर 1991 ई. को आर्मेनिया, अजरबैजान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, मोल्दोवा,
तुर्कमेनिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान के नेताओं ने ‘अल्मा-अता
प्रोटोकॉल’ पर हस्ताक्षर कर ‘कॉमनवेल्थ ऑफ इंडिपेंडेंट स्टेट’ में शामिल
होने की सहमति प्रदान की। इस बीच गोर्बाचेव और बोरिस येल्तसिन ने एक समझौते
द्वारा सोवियत संघ के सभी केन्द्रीय संस्थानों को भंग करने का निर्णय
लिया। गोर्बाचेव ने साम्यवादी दल के महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया और इसकी
केन्द्रीय समिति को भंग कर दल की समस्त संपत्तियों का राष्ट्रीयकरण कर
दिया गया। 26 दिसंबर 1991 ई. को सोवियत संघ के औपचारिक विघटन की घोषणा कर
दी गयी तथा कभी साम्यवाद की शक्ति का केंद्र रहा विशालकाय देश इतिहास के
गर्त में समा गया। सोवियत संघ के विघटन के फलस्वरूप विश्व में पंद्रह नए
संप्रभु राज्यों- आर्मेनिया, अजरबैजान, बेलारूस, एस्टोनिया, जॉर्जिया,
कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, लातविया, लिथुआनिया, मोल्दोवा, रूस, ताजिकिस्तान,
तुर्कमेनिस्तान, यूक्रेन और उजबेकिस्तान का प्रादुर्भाव हुआ।
कभी विश्व शक्ति का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहे सोवियत संघ में सन् 1980 ई. के दशक के उत्तरार्ध में नाटकीय परिवर्तन दृष्टिगोचर हुए और 25 दिसम्बर 1991 ई. को मोस्को स्थित क्रेमलिन में सोवियत संघ का ध्वज आख़िरी बार फहरा। इस दिन सोवियत संघ के विघटन की औपचारिक घोषणा की गयी तथा 26 दिसम्बर 1991 ई. से यह देश अस्तित्व में नहीं रहा। पूंजीवादी देशों ने इस घटना का स्वतंत्रता की नयी सुबह, सर्वाधिकारवाद पर लोकतंत्र की विजय और पूंजीवाद की साम्यवाद पर श्रेष्ठता स्थापित होने के रूप में स्वागत किया। किन्तु अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के विद्वानों ने सोवियत संघ के विघटन के कारणों की विस्तृत पड़ताल की है तथा इसके लिए अनेक आतंरिक एवं वाह्य कारकों को उत्तरदायी माना है।
कभी विश्व शक्ति का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहे सोवियत संघ में सन् 1980 ई. के दशक के उत्तरार्ध में नाटकीय परिवर्तन दृष्टिगोचर हुए और 25 दिसम्बर 1991 ई. को मोस्को स्थित क्रेमलिन में सोवियत संघ का ध्वज आख़िरी बार फहरा। इस दिन सोवियत संघ के विघटन की औपचारिक घोषणा की गयी तथा 26 दिसम्बर 1991 ई. से यह देश अस्तित्व में नहीं रहा। पूंजीवादी देशों ने इस घटना का स्वतंत्रता की नयी सुबह, सर्वाधिकारवाद पर लोकतंत्र की विजय और पूंजीवाद की साम्यवाद पर श्रेष्ठता स्थापित होने के रूप में स्वागत किया। किन्तु अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के विद्वानों ने सोवियत संघ के विघटन के कारणों की विस्तृत पड़ताल की है तथा इसके लिए अनेक आतंरिक एवं वाह्य कारकों को उत्तरदायी माना है।
सोवियत संघ के विघटन से बने नवीन राज्य
1. आर्मेनिया
2. अज़रबैजान
3. बेलारूस
4. एस्टोनिया
5. जॉर्जिया
6. कजाखस्तान
7. किर्गिस्तान
8. लातविया
9. लिथुआनिया
10 मोल्दोवा
11. रूस
12. ताजिकिस्तान
13. तुर्कमेनिस्तान
14. यूक्रेन
15. उजबेकिस्तान
2. अज़रबैजान
3. बेलारूस
4. एस्टोनिया
5. जॉर्जिया
6. कजाखस्तान
7. किर्गिस्तान
8. लातविया
9. लिथुआनिया
10 मोल्दोवा
11. रूस
12. ताजिकिस्तान
13. तुर्कमेनिस्तान
14. यूक्रेन
15. उजबेकिस्तान
स्रोत :wikipedia
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