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भारत का संविधान : भाग 12: वित्त, सम्‍पत्ति, संविदाएं और वाद, PART 12 FINANCE, PROPERTY, CONTRACTS AND SUITS

भारत का संविधान : भाग 12: वित्त, सम्‍पत्ति, संविदाएं और वाद, PART 12 FINANCE, PROPERTY, CONTRACTS AND SUITS

264.”वित्त आयोग” से अनुच्छेद 280 के अधीन गठित वित्त आयोग है।
265.कोई कर विधि के प्राधिकार से ही अधिरोपित या संगृहीत किया जाएगा, अन्यथा नहीं।
266. अनुच्छेद 267 के उपबंधों के अधीन , ”भारत की संचित निधि” और ”राज्य की संचित निधि”  होगी  |
267(1). ”भारत की आकस्मिकता निधि” ,  अनुच्छेद 115 या अनुच्छेद 116 के अधीन संसद द्वारा,अग्रिम धन देने के लिए राष्ट्रपति को समर्थ बनाने के लिए उक्त निधि राष्ट्रपति के व्ययनाधीन रखी जाएगी।
267(2) राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा,अनुच्छेद 205 या अनुच्छेद 206,जो ”राज्य की आकस्मिकता निधि” के नाम से ज्ञात होगी , अग्रिम धन देने के लिए राज्यपाल को समर्थ बनाने के लिए  व्ययनाधीन रखी जाएगी।

संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण

268.ऐसे स्टांप-शुल्क तथा औषधीय और प्रसाधन निर्मितियों पर ऐसे उत्पाद-शुल्क, जो संघ सूची में वर्णित हैं, भारत सरकार द्वारा उद्‍ग्रहीत किए जाएँगे, किंतु (ख) अन्य दशाओं में जिन-जिन राज्यों के भीतर ऐसे शुल्क उद्ग्रहणीय हैं, उन-उन राज्यों द्वारा, संगृहीत किए जाएँगे।
268क. (1) सेवाओं पर कर भारत सरकार द्वारा लिया जायेगा ।
269. माल के क्रय या विक्रय पर कर और माल के ट्रांसमिशन पर कर, भारत सरकार द्वारा लिए  जाएँगे किन्तु राज्यों को सौंप दिए जाएँगे|
270.उद्‍गृहीत कर और उनका संघ तथा राज्यों के बीच वितरण
271. कुछ शुल्कों और करों पर संघ के प्रयोजनों के लिए अधिभार
272.संविधान (अस्सीवाँ संशोधन) अधिनियम, 2000 की धारा 4 द्वारा लोप किया गया।
273. जूट पर और जूट उत्पादों पर निर्यात शुल्क के स्थान पर अनुदान |
275. कुछ राज्यों को संघ से अनुदान|
276.वृत्तियों, व्यापारों, आजीविकाओं और नियोजनों पर कर|
278.संविधान (सातवाँ संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा निरसित।
280.प्रत्येक पाँच वें वर्ष की समाप्ति पर या ऐसे पूर्वतर समय पर, जिसे राष्ट्रपति वित्त योग का गठन जो एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्यों से मिलकर बनेगा।
285. संघ की संपत्ति को राज्य के कराधान से छूट।
286. राज्य की कोई विधि, माल के क्रय या विक्रय पर कोई कर अधिरोपित नहीं करेगी |
287. विद्युत पर करों से छूट
288. जल या विद्युत के संबंध में राज्यों द्वारा कराधान से कुछ दशाओं में छूट|
289. राज्यों की संपत्ति और आय को संघ के कराधान से छूट|
290. कुछ व्ययों और पेंशनों के संबंध में समायोजन|
290क. कुछ देवस्वम्‌ निधियों को वार्षिक संदाय
291. शासकों की निजी थैली (प्रिवी पर्स) की राशि को समाप्त | संविधान (छब्बीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1971 की धारा 2 निरसित।
291(2) मद्रास राज्य (नाम परिवर्तन) अधिनियम, 1968 (1968 का 53) की धारा 4 द्वारा (14-1-1969 से) मद्रास के स्थान पर प्रतिस्थापित।
292. भारत सरकार द्वारा उधार लेना।
293. राज्यों द्वारा उधार लेना
297. राज्यक्षेत्रीय सागर-खंड या महाद्वीपीय मषनतट भूमि में स्थित मूल्यवान चीजों और अनन्य आर्थिक क्षेत्र के संपत्ति स्रोतों का संघ में निहित होना
298. संघ की और प्रत्येक राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार, व्यापार या कारबार करने और किसी प्रयोजन के लिए संपत्ति का अर्जन, धारण और व्ययन तथा संविदा करने पर
299. संविदाएँ–(1) संघ की या राज्य की कार्यपालिका शक्ति का प्रयोग करते हुए की गई सभी संविदाएँ, यथास्थिति, राष्ट्रपति द्वारा या उस राज्य के राज्यपाल द्द्वारा की जाती है |
300. भारत सरकार भारत संघ के नाम से वाद ला सकेगी ,और किसी राज्य की सरकार उस राज्य के नाम से वाद ला सकेगी

अध्याय 4 — संपत्ति का अधिकार

300क. किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से विधि के प्राधिकार से ही वंचित किया जाएगा, अन्यथा नहीं।

 

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