कैबिनेट मिशन योजना,1946
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फरवरी 1946 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री
एटली ने भारत में एक तीन सदस्यीय उच्च-स्तरीय शिष्टमंडल (ब्रिटिश कैबिनेट
के तीन सदस्य- लार्ड पैथिक लारेंस (भारत सचिव), सर स्टेफर्ड क्रिप्स
(व्यापार बोर्ड के अध्यक्ष) तथा ए.वी. अलेक्जेंडर (एडमिरैलिटी के प्रथम
लार्ड या नौसेना मंत्री) थे, भेजने की घोषणा की। इस शिष्टमंडल में । इस
मिशन का कार्य था भारत को शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण की विवेचना |
भारत मे कैबिनेट मिशन का आगमन
24 मार्च 1946 को कैबिनेट मिशन दिल्ली पहुंचा। मिशन ने निम्न मुद्दों पर कई दौर की बातचीत की-
- अंतरिम सरकार।
- भारत की स्वतंत्रता देने एवं नये संविधान के निर्माण हेतु आवश्यक सिद्धांत एवं उपाय।
कैबिनेट मिशन योजना-मुख्य बिन्दु
संविधान सभा का निर्वाचन, प्रांत की विधानसभाओं के सदस्य तथा प्रांत की
जनसंख्या के अनुपात के आधार पर आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के द्वारा
किया जायेगा। प्रति १० लाख् की आबादी पर एक प्रतिनिधि के चुनाव|- निर्वाचन मंडल में केवल तीन वर्ग माने गये- मुस्लिम, सिख और अन्य (हिन्दू सहित)।
- प्रस्तावित संविधान सभा में 389 सदस्य होने थे; जिनमें से 292 सदस्य भारतीय प्रांतों से, 4 मुख्य आयुक्तों के राज्यों से तथा 93 देशी रियासतों से चुने जाने थे। यह एक उपयुक्त एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था थी, जो कि परिमाण पर आधारित नहीं थी।
- मुस्लिम लीग ने अपनी कमज़ोर स्थिति को देखते हुए संविधान सभा का बहिस्कार किया
- 7 सदस्य मसूर रियासत (सर्वाधिक) तथा हैदराबाद रियासत से कोई नहीं
स्वीकार्यताः 6 जून को मुस्लिम लीग ने और 24 जून 1946 को कांग्रेस ने कैबिनेट मिशन योजना के दीर्घ अवधि के प्रस्तावों को स्वीकार कर लिया।
जुलाई 1946: संविधान सभा के गठन हेतु प्रांतीय व्यवस्थापिकाओं में चुनाव संपन्न हुये।
संविधान
के पूर्ण होने के पश्चात २४ नवम्बर १९४९ को मात्र २८४ सदस्यों ने
हस्ताक्षर किये |संविधान बनाए में ६४ लाख रूपए के खर्चा आया | कुल ११ सत्र
और १६५ बैठके हुई .१२ और अंतिम सत्र २४ नवम्बर १९४९ को हुआ |
श्री हिरेश चन्द्र मुख़र्जी संविधान सभा के उपाध्यक्ष तथा व०एन राव कानूनी सलाहकार बने | डॉ एस राधाकृष्णन प्रथम वक्ता बने
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