Skip to main content

भारत का संविधान – भाग 6- राज्य , Constitution of India, Part 6 State

भारत का संविधान – भाग 6- राज्य , Constitution of India, Part 6 State


more at 

भाग 6 , राज्य , Part 6 State 

152. परिभाषा– इस भाग में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, ” राज्य”  (जम्मू-कश्मीर राज्य को छोड़कर)

राज्यपाल

153.प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होगा
154. राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी और वह इसका प्रयोग इस संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करेगा।
155. राज्य के राज्यपाल को राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा नियुक्त करेगा।
156.  राज्यपाल, राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद धारण करेगा।
157. कोई व्यक्ति राज्यपाल नियुक्त होने का पात्र तभी होगा जब वह भारत का नागरिक है और पैंतीस वर्ष की आयु पूरी कर चुका है।159. राज्यपाल द्वारा शपथ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति या उसकी अनुपस्थिति में उस न्यायालय के उपलब्ध ज्येष्ठतम न्यायाधीश के समक्ष करेगा
161. किसी राज्य के राज्यपाल को उस विषय संबंधी, जिस विषय पर उस राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार है, किसी विधि के विरुद्ध किसी अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराए गए किसी व्यक्ति के दंड को क्षमा, उसका प्रविलंबन, विराम या परिहार करने की अथवा दंडादेश में निलंबन, परिहार या लघुकरण की शक्ति होगी।

मंत्रि-परिषद

163. राज्यपाल को अपने कृत्यों का प्रयोग करने में सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रि-परिषद होगी जिसका प्रधान, मुख्यमंत्री होगा।
163(3) इस प्रश्न की किसी न्यायालय में जाँच नहीं की जाएगी कि क्या मंत्रियों ने राज्यपाल को काई सलाह दी, और यदि दी तो क्या दी।
164 मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल, मुख्यमंत्री की सलाह पर करेगा तथा मंत्री, राज्यपाल के प्रसादपर्यंत अपने पद धारण करेंगे|
164(क) किसी राज्य की मंत्रि-परिषद में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या उस राज्य की विधानसभा के सदस्यों की कुल संख्या केपंद्रह प्रतिशत से अधिक नहीं होगी|परंतु किसी राज्य में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की संख्या बारह से कम नहीं होगी :
164(2) मंत्रि-परिषद राज्य की विधानसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगी।

राज्य का महाधिवक्ता

165(1) प्रत्येक राज्य का राज्यपाल, उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने के लिए अर्हित किसी व्यक्ति को राज्य का महाधिवक्ता नियुक्त करेगा।
165(2) महाधिवक्ता का यह कर्तव्य होगा कि वह उस राज्य की सरकार को विधि संबंधी ऐसे विषयों पर सलाह दे
165(3) महाधिवक्ता, राज्यपाल के प्रसादपर्यंत पद धारण करेगा और ऐसा पारिश्रमिक प्राप्त करेगा जो राज्यपाल अवधारित करे
सरकारी कार्य का संचालन
166. किसी राज्य की सरकार की समस्त कार्यपालिका कार्रवाई राज्यपाल के नाम से की हुई कही जाएगी।
167.प्रत्येक राज्य के मुख्यमंत्री का यह कर्तव्य होगा कि वह राज्यपाल को , राजपाल द्वारा मांगे गए सूचना दे |
साधारण168 (1) प्रत्येक राज्य के लिए एक विधान-मंडल होगा जो राज्यपाल (2) किसी राज्य के विधान-मंडल के दो सदन हैं वहां एक का नाम विधान परिषद और दूसरे का नाम विधानसभा होगा और केवल एक सदन है वहां उसका नाम विधानसभा होगा।
170. विधानसभाओं की संरचना,प्रत्येक राज्य की विधानसभा उस राज्य में प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों से प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने हुए पाँच सौ से अनधिक और साठ से अन्यून सदस्यों से मिलकर बनेगी।
172.प्रत्येक राज्य की प्रत्येक विधानसभा, यदि पहले ही विघटित नहीं कर दी जाती है तो, अपने प्रथम अधिवेशन  के लिए नियत तारीख से पाँच वर्ष तक बनी रहेगी, इससे अधिक नहीं और पाँच वर्ष की उक्त अवधि की समाप्ति का परिणाम विधानसभा का विघटन होगा:|
173. राज्य के विधान-मंडल की सदस्यता के लिए अर्हता(क) वह भारत का नागरिक है (ख)  कम से कम पच्चीस वर्ष की आयु का और विधान परिषद के  लिए कम से कम तीस वर्ष की आयु का|
174. राज्यपाल, समय-समय पर, राज्य के विधान-मंडल के सदन या प्रत्येक सदन को, अधिवेशन  के लिए आहूत करेगा
174(2) राज्यपाल (क) सदन का या किसी सदन का सत्रावसान कर सकेगा(ख) विधानसभा का विघटन कर सकेगा।
176(1) राज्यपाल, विधानसभा के लिए प्रत्येक साधारण निर्वाचन के पश्चात्‌ प्रथम सत्र के आरंभ में और प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के आरंभ मेंट विधानसभा में या विधान परिषद वाले राज्य की दशा में एक साथ समवेत दोनों सदनों में अभिभाषण करेगा
177.प्रत्येक मंत्री और राज्य के महाधिवक्ता को यह अधिकार होगा कि वह उस राज्य की विधानसभा में या विधान परिषद वाले राज्य की दशा में दोनों सदनों में बोले और उनकी कार्यवाहियों में अन्यथा भाग ले|

राज्य के विधान-मंडल के अधिकारी

178. विधानसभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष
179. अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त होना
181. जब अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उसका पीठासीन न होना
182.विधान परिषद वाले प्रत्येक राज्य की विधान परिषद, यथाशीघ्र, अपने दो सदस्यों को अपना सभापति और उपसभापति चुनेगी
183. सभापति और उपसभापति का पद रिक्त होना
211.उच्चतम न्यायालय या किसी उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश के अपने कर्तव्यों के निर्वहन में किए गए, आचरण के विषय में राज्य के विधान-मंडल में कोई चर्चा नहीं होगी।
212. न्यायालयों द्वारा विधान-मंडल की कार्यवाहियों की जाँच न किया जाना
213. विधान-मंडल के विश्रांतिकाल में अध्यादेश प्रख्यापित करने की राज्यपाल की शक्ति,परंतु राज्यपाल, राष्ट्रपति के अनुदेशों के बिना, कोई अध्यादेश प्रख्यापित नहीं करेगा
214. प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायालय होगा।
215. उच्च न्यायालयों का अभिलेख न्यायालय होना
216. प्रत्येक उच्च न्यायालय मुख्‍य न्यायमूर्ति और ऐसे अन्य न्यायाधीशों से मिलकर बनेगा जिन्हें राष्ट्रपति समय-समय पर नियुक्त करना आवश्यक समझे।
217.भारत के मुख्‍य न्यायमूर्ति से, उस राज्य के राज्यपाल से और मुख्‍य न्यायमूर्ति से भिन्न किसी न्यायाधीश की नियुक्ति की दशा में उस उच्च न्यायालय के मुख्‍य न्यायमूर्ति से परामर्श करने के पश्चात्‌, राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा उच्च न्यायालय के प्रत्येक न्यायाधीश को नियुक्त करेगा
220. स्थायी न्यायाधीश रहने के पश्चात्‌ विधि-व्यवसाय पर निर्बंधन
221. न्यायाधीशों के वेतन आदि
222. किसी न्यायाधीश का एक उच्च न्यायालय से दूसरे उच्च न्यायालय को अंतरण
223. कार्यकारी मुख्य न्यायमूर्ति की नियुक्ति224. अपर और कार्यकारी न्यायाधीशों की नियुक्ति |
224क. उच्च न्यायालयों की बैठकों में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की नियुक्ति-
227. सभी न्यायालयों के अधीक्षण की उच्च न्यायालय की शक्ति |
228. कुछ मामलों का उच्च न्यायालय को अंतरण–यदि उच्च न्यायालय का यह समाधान हो जाता है कि उसके अधीनस्थ किसी न्यायालय में लंबित किसी मामले में इस संविधान के निर्वचन के बारे में विधि का कोई सारवान्‌ प्रश्न अंतर्वलित है जिसका अवधारण मामले के निपटारे के लिए आवश्यक है तो वह उस मामले को अपने पास मंगा लेगा
229. उच्च न्यायालयों के अधिकारी और सेवक तथा व्यय तथा नियुक्तियाँ उस न्यायालय का मुख्य न्यायमूर्ति करेगा
231. दो या अधिक राज्यों के लिए एक ही उच्च न्यायालय की स्थापना
233. जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति
234. न्यायिक सेवा में जिला न्यायाधीशों से भिन्न व्यक्तियों की भर्ती,  राज्य की न्यायिक सेवा में नियुक्ति उस राज्य के राज्यपाल द्वारा, राज्य लोक सेवा आयोग से और ऐसे राज्य के संबंध में अधिकारिता का प्रयोग करने वाले उच्च न्यायालय से परामर्श करने के पश्चात्‌‌, और राज्यपाल द्वारा इस निमित्त बनाए गए नियमों के अनुसार की जाएगी।
235.जिला न्यायालयों और उनके अधीनस्थ न्यायालयों का नियंत्रण
237. राज्यपाल, लोक अधिसूचना द्वारा, निदेश दे सकेगा कि इस अध्याय के पूर्वगामी उपबंध और उनके अधीन बनाए गए नियम ऐसी तारीख से, जो वह इस निमित्त नियत करे, ऐसे अपवादों और उपांतरणों के अधीन रहते हुए,  जो ऐसी अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किए जाएँ, राज्य में किसी वर्ग या वर्गों के मजिस्ट्रेटों के संबंध में वैसे ही लागू होंगे जैसे वे राज्य की न्यायिक सेवा में नियुक्त व्यक्तियों के संबंध में लागू होते हैं।

Comments

Popular posts from this blog

वैदिक सभ्यता, वैदिक काल , उत्तर वैदिक काल , Vedic Period

वैदिक सभ्यता, वैदिक काल , उत्तर वैदिक काल , Vedic Period वैदिक सभ्यता प्राचीन भारत की सभ्यता है जिसमें वेदों की रचना हुई। भारतीय विद्वान् तो इस सभ्यताको अनादि परम्परा आया हुवा मानते हैं | कुछ लोग तो भारत में आज से लगभग ७००० इस्वी ईसा पूर्व शुरु हई थी ऐसा मानते है, परन्तु पश्चिमी विद्वानो के अनुसार आर्यों का एक समुदाय भारत मे लगभग २००० इस्वी ईसा पूर्व आया और उनके आगमन के साथ ही यह सभ्यता आरंभ हुई थी। आम तौर पर अधिकतर विद्वान वैदिक सभ्यता का काल २००० इस्वी ईसा पूर्व से ६०० इस्वी ईसा पूर्व के बीच मे मानते है, परन्तु नए पुरातत्त्व उत्खननो से मिले अवशेषों मे वैदिक सभ्यता के कई अवशेष मिले हैं जिससे आधुनिक विद्वान जैसे डेविड फ्राले, तेलगिरी, बी बी लाल, एस र राव, सुभाष काक, अरविन्दो यह मानने लगे है कि वैदिक सभ्यता भारत मे ही शुरु हुई थी और ऋग्वेद का रचना काल ४०००-३००० इस्वी ईसा पूर्व रहा होगा, क्योकि आर्यो के भारत मे आने का न तो कोई पुरातत्त्व उत्खननो से प्रमाण मिला है और न ही डी एन ए अनुसन्धानो से कोई प्रमाण मिला है इस काल में वर्तमान हिंदू धर्म के स्वरूप की नींव पड़ी थी जो...

भारत के प्रमुख बांध एवं नदी परियोजनाएँ

भारत के प्रमुख बांध एवं नदी परियोजनाएँ इडुक्की परियोजना (Idukki Dam) – पेरियार नदी (Periyar River) – केरल (Kerala) उकाई परियोजना (Ukai Project) – ताप्ती नदी (Tapi river) – गुुजरात (Gujarat) काकड़ापारा परियोजना (Kakrapar project) – ताप्ती नदी (Tapi river) – गुुजरात (Gujarat) कोलडैम परियोजना (Koldam project) – सतलुज नदी – (Sutlej River) – हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) गंगासागर परियोजना (Ganga Sagar project) – चम्बल नदी (Chambal River) – मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) जवाहर सागर परियोजना (Jawahar Sagar Project) – चम्बल नदी (Chambal River) – राजस्थान (Rajasthan) जायकवाड़ी परियोजना (Jayakwadi project ) – गोदावरी नदी (Godavari river) – महाराष्ट्र (Maharashtra) टिहरी बाँध परियोजना (Tehri Dam Project) – भागीरथी नदी (Bhagirathi River) – उत्तराखण्ड (Uttarakhand) तिलैया परियोजना (Tilaiya Project) – बराकर नदी (Barakar River) – झारखंड (Jharkhand) तुलबुल परियोजना (Tulbul Project) – झेलम नदी (Jhelum River) – जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir) दुर्गापुर बैराज परियोजना (Durgapur Barrage Pro...

परमवीर चक्र के बारे में संक्षिप्त जानकारी।

परमवीर चक्र के  बारे में संक्षिप्त जानकारी। परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान है। यह सेना के जवानों को उनकी बहादुरी के लिए दिया जाता है। इस सम्मान की शुरुआत 26 जनवरी 1950 में हुई थी। अब तक 21 सैनिकों को इससे सम्मानित किया गया है। – सबसे ज्यादा सेना के 20 और एयरफ़ोर्स के एक जवान को ये अवॉर्ड मिला है। – अभी तक नेवी के किसी जवान को यह अवॉर्ड नहीं मिला है। – परमवीर चक्र पाने वाले सैनिकों या उनके परिजनों को 10 हजार रुपए महीने का अलाउंस भी दिया जाता है। – परमवीर चक्र को सावित्री बाई खालोनकर ने डिजाइन किया था। उनकी मां हंगरी की, जबकि पिता रशियन थे। – उनकी शादी मेजर जनरल विक्रम खालोनकर से हुई थी। -सोमनाथ शर्मा को मरणोपरांत पहला परमवीर चक्र का सम्मान मिला। पदक का प्रावधान स्वतंत्र भारत में पराक्रमी वीरों को युद्ध भूमि में दिखाये गये शौर्य के लिए अनेक प्रतीक सम्मान पुरस्कारों का चलन शुरू हुआ। 15 अगस्त 1947 से वर्ष 1950 तक भारत अपना संविधान रचने में व्यस्त रहा। 26 जनवरी 1950 को जो विधान लागू हुआ, उसे 1947 से प्रभावी माना गया। वह इसलिए जिससे 1947-48 में हुए भारत-पाक युद्ध के वीरों क...